रहस्यमयी ब्रह्माण्ड से मानव कल्याण के लिए ऋषि एवं महर्षियों के सूक्ष्मज्ञान द्वारा अनेक गुह्य सिद्धांत प्रतिपादित हुए हैं। काल क्रमानुसार इनमें से कुछ कृतिबद्ध हुए, कुछ मौखिक ही चलन में चलते रहे और अनेक उनमें से लोप होते चले गए। अरुण संहिता अर्थात् लाल किताब इसी क्रम में एक ऐसी कृति है जो टोटकों तथा उपायों से भरी हुई है। संस्कृत की मूल कृति किसी प्रकार अरब के आब नामक स्थान पर पहुॅच गयी, वहॉ इसका अरबी तथा फारसी में अनुवाद हुआ। इस सदी में इसका उर्दू में अनुवाद हुआ। लाल किताब के विषय में और भी अनेक किबदंतियॉ प्रचलित हैं। सत्य क्या है, यह तो राम जाने? परंतु यह सत्य है कि लाल किताब में वर्णित टोटके भाग्य को पढ़ने और अनिष्ट से रक्षा करने के लिए चमत्कारी रुप से प्रभावद्गााली है।
रत्नों द्वारा सौभाग्य प्राप्त करने का भी इसमें वर्णन मिलता है, परंतु वह आधा अधूरा है। आवद्गयता है कि इस ज्ञान को समझने की, उसमें अधिक खोज करने की, तदनुसार व्यवहार में लाने की ताकि अधिकारिक रुप से मानव कल्याण हो सके। व्यवसायिकता से दूर हट कर मेरे शोधपरक कार्य को अपने बुद्धि-विवेक से और आगे बढ ाने का एक और प्रयास करके तो देखिये, कितने संतोष जनक परिणाम आपको मिलते हैं।
गोपाल राजू की चर्चित पुस्तक “स्वम चुनिए अपना भाग्यशाली नाम” का सार-संक्षेप :
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