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, ७ अथवा ९ अंक बैठाते हैं आतंकी धमाकों का गणित
जुलाई को बोध गया में हुए सिलसिलेवार नौ आतंकी धमाकों ने एक बार फिर से सुरक्षा कर्मियों की नींद उड़ा दी है । अंक–ज्योतिष की माने तो दुनियाभर में हो रहे इन धमाकों के पीछे कुछ अंकों ने एक खूनी भूमिका निभाई है । यह कोई कल्पना, अन्धविश्वास अथवा मात्र दुकानदारी के लिए किये जाने वाले कारणों से नहीं कहा जा रहा है ।
इसके पीछे ठोस तार्किक तथ्य भी हैं । ५०० से अधिक विश्व स्तर पर हुए छोटे–बड़े आतंकी धमाकों का ज्योतिष–गणित के अनुसार गहन शोध करने के बाद यह तथ्य रूड़की के पूर्व वैज्ञानिक और ज्योतिष गोपाल राजू ने उजागर किये हैं ।
अब से ३ वर्ष पूर्व समाचार पत्रों की मुख्य लाइनों में इस विषय पर विस्तार से छापा गया था । अनेक आतंकी धमाकों के उदाहरणों से ये सिद्ध किया गया था कि अंक २, ७ अथवा ९ के प्रभाव में ७८ % से भी अधिक विस्फोट हुए हैं और अंक १ सर्वाधिक सुरक्षित अंक रहा है अर्थात मात्र १ ०, १ ५ प्रतिशत ही सम्भावना बनी जब अंक १ कहीं आतंकी हमले में शामिल हुआ हो अंक शास्त्र में दिनांक का इकाई और दहाई अंकों का जोड़ मूलांक कहलाता है, इसी प्रकार दिन, माह और वर्ष का योग करके यदि संयुक्तांक इकाई अंक बना लिया जाये तो वह भाग्यांक कहलाता है । दिनांक ७ –७ –२० १३ को मूलांक ७ और भाग्यांक २ बनता है जो एक धमाके का कारण बना ।
गोपाल राजू ने बताया की एप्लाइड गणित में एक ‘सम्भावना थ्योरी‘ होती है जिसके अनुसार यदि सिक्के को १०० बार टॉस किया जाये तो सम्भावना बनती है कि ६ ० बार हैड गिरे और ४ ० बार टेल । ऐसी ही सम्भावनाएं बन सकती हैं ३ ० बार हेड और ७ ० बार टेल । ५ ५ बार टेल और ४ ५ बार हेड अथवा ऐसी ही अन्य बहुत सी संभावनाएं । परन्तु ऐसा कभी नहीं होता कि सब हेड गिरें अथवा सब टेल । और जब सम्भावनाये ७५ अथवा ८ ० प्रतिशत से अधिक बनती हैं तब मान लिया जा सकता है कि कहीं न कहीं कोई तथ्य ज़रूर छिपा है । ऐसा ही तथ्य आतंकी हमलों के पीछे सैकड़ों उदाहरणों से सिद्ध किया गया है ।
कुछ उदाहरण देखें – १५ –४ – २ ० १३ को अमेरिका के बोस्टन शहर का धमाका , यहाँ भाग्यांक था ७ (१+५ +४ +२ +१ +३ =१ ६=१ +६=७) । १ ७ –४ –२ ० १ ३ को बैंगलुरू धमाका, भाग्यांक था ९ अंक । २ ६ –१ १ –२ ० ० ८ मुंबई धमाका, भाग्यांक था २ । वाराणसी धमाके में दिन था २ ३ –१ १ –२ ० ० ७ और भाग्यांक था ७ । २ २ –५ –२ ० ० ५ को दिल्ली में हुए धमाके के समय भाग्यांक था ७ । ऐसे ही अहमदाबाद २ ७ –२ –१ ९ ९ ८ को भाग्यांक था ९ । २ ७ –२ –१ ९ ९ ८ को मुंबई धमाके में अंक थे ९ और २ । ऐसा नहीं कि ये तथ्य केवल भारत में हुए धमाकों से निकाला गया है । २ ० ० ८ –२ ० १ ० के पाकिस्तान में हुए २ ० से अधिक धमाकों में इन ३ अंकों का ही अधिकांशतः हाथ था ।
अंक १ यहाँ भी सर्वाधिक सुरक्षित अंक सिद्ध हुआ था । दिनांक १ १ –८ –२ ० ० ७ रूस धमाका आतंकी अंक बना था मूलांक २ । १ ८ –७ –२ ० ० ६ ईराक धमाका अंक था ९ । १ ५ –४ –२ ० ० ६ श्रीलंका धमाका कुल अंक बा ९ । ७–२–२ ० ० ५ लन्दन धमाका अंक था ७ । गणित की सम्भावना थ्योरी की माने और दुनियाभर में हुए आतंकी धमाकों के अंकों की गणना करें तो ७ ८ % से अधिक पाया गया की अंक २,७ अथवा ९ ने अपना तांडव ज़रूर दिखाया है । जब भी कहीं कोई धमाके की धमकी दी गयी तो अनेक बार गोपाल राजू से भविष्यवाणी की कि उनमें आतंकी और खूनी अंक कहीं भी नहीं आ रहे हैं इसलिए धमाकों की सम्भावना नहीं के बराबर है । उनका यह भी कहना है कि गंभीरता से यदि इस विषय पर ध्यान दिया जाये तो अनेक अन्य चकित कर देने वाले परिणाम पाए जा सकते हैं ।
इन अंकों के दुष्परिणामों को और भी अधिक सार्थक सिद्ध करने के लिए अपने विस्तृत लेखों में गोपाल राजू ने ज्योतिष का सहारा भी लिया है ।
अंकोंमेंकुछहैज़रूरजिसपरव्यापकस्तरमेंशोधकार्यकीज़रुरतहै।
· आतंकी हमलों के पीछे छिपे कुछ खूनी अंक
· अंक 2, 7 तथा 9 ने बिठाया है सर्वाधिक आतंकी धमाकों का गणित
· अंक१आतंकीधमाकोंकेलिएरहाहैसबसेसुरक्षित
· ७८ % सेअधिकपायागयाकीअंक२,७अथवा९नेअपनातांडवज़रूरदिखायाहै
May please read a R&D oriented article (In hindi) on numerology
by Gopal Raju, Scientist, Writer n Occultst
AT:
http://gopalrajuarticles.webs.com/ank-1.pdf
OR
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